ढकमक्क फक्रीएकी स्वप्न बगैचा कि फूल तिमी
अन्तर्मनमा सजिएकी अटुट प्रेम कि मुल तिमी
अतुलनिय तिम्रो रुप त्यो गुलाबी फूल भन्दा
यो भुपेन को दिल सजिएकी रानी फूल तिमी
भूपेन प्रकाश
स्वप्न बगैचा
२०७०-०३-१५
wah wah wah kavi jyu. Usko yaad le dherai nai satayajasto xa ta.
ReplyDeletebhupendra jyu , unko yaadle satauna chhadechha ki kya ho, naya lekhharu aauna chhode ta
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